Option trading/put/lot क्या होता है

 




Option trading/option market/call/put/lot क्या होता है; हम अपने इस पोस्ट में आपको बताएंगें की Option trading क्या होता है. कॉल क्या होता है पुट क्या होता है? ऑप्शन मार्किट में लॉट क्या होता है. एक लॉट में कितने शेयर होते हैं. एक लौट का दाम कितना होता है. फ्यूचर मार्केट क्या होता है. Option tradingऔर इक्विटी ट्रेडिंग में कौन अच्छा होता है.

OPTION TRADING को समझना कोई जायदा मुश्किल काम नहीं है। इसे आप आसानी से समझ सकते हैं. हम अपने दैनिक जीवन में भी इस OPTION TRADING का इस्तेमाल करते हैं. जैसे कि हमें नाम से ही पता चल रहा है कि OPTION, हमारे पास ऑप्शन रहता है की हम किसी दो OPTION में से किसी एक OPTION को चुन सकते हैं. ऑप्शन में हमारे पास 2 3 4 5 ऑप्शन होते हैं। जिनमें से आप किसी एक ऑप्शन को चुन सकते हैं। जैसा की, ऑप्शंस नाम से ही हमें क्लेरिफाई हो रहा है कि आपके पास 2 3 4 या उससे ज्यादा ऑप्शन होता है, किसी चीज को चूज करने के लिए.
 

ऑप्शन मार्केट/ option trading काम किस तरीके से करता है.

 
ऑप्शन मार्केट काम किस तरीके से करती है. ऑप्शंस मार्केट के अंदर स्टॉक हो सकती है, बॉन्ड हो सकती है, करेंसी हो सकती है. और भी काफी सारी चीजें option trading के अंदर हो सकते हैं. तो हम यहाँ EXAMPLE के लिए स्टॉक लेकर चलते हैं। मान लेते हैं की आप किसी स्टॉक का लॉट खरीदते हैं। अब यहाँ लॉट का क्या मतलब होता है. देखिये जो डेरिवेटिव्स मार्केट/Derivatives Market होती है डेरिवेटिव मार्केट में काफी सारे कॉम्पोनेंट्स होते हैं जैसे कि Future Market ,OPTION Market हैं और भी काफी चीजें हैं तो जो ऑप्शन और डेरिवेटिव मार्केट की जो कमोडिटी है या करेंसी है जो भी चीज है. ये सारे एक लॉट में बांट दी जाती है. यहाँ इसे एक पार्टीकूलर क्वांटिटी ना मानकर इसे एक लॉट में माना जाता है. मान लेते हैं कि पीएनबी का कोई स्टॉक है. तो अगर उसका लॉट दो हजार स्टॉक का है तो आप को कम से कम एक लॉट लेना होगा और अधिक से अधिक आप कितने भी लॉट खरीदी सकते हैं. लेकिन आपको पूरा एक लॉट ही खरीदना होगा।
 
लॉट का मतलब यह अगर मान लेते आप ऑप्शंस का किसी स्टॉक का लॉट परचेज करना चाहते हैं तो जैसे कि फ्यूचर मार्केट में होता है. कि फ्यूचर मार्केट में आपको मार्जिन मनी के हिसाब से काम चलता है और आप 5 परसेंट से10 परसेंट पैसा देकर के पूरा लॉट खरीद सकते हो जितना डेली बेसिस पर लॉस प्रॉफिट होगा वह आपको उस हिसाब से मैनेज करना पड़ता है लेकिन option trading के अंदर आपके पास ऑप्शन है. कि आप चाहे तो आप लॉस बुक करें आप चाहें तो लॉस बुक ना करें। यह कैसे होता है यह मैं आपको उदाहरण देता हूं
मान लेते हैं कि हम एक इन्वेस्टमेंट के लिए घर खरीदना चाहते हैं. इस घर की कीमत है. दस लाख रुपए। जो कि हमारी बेचने वाले के साथ यह कॉन्ट्रेक्ट हो गया की हम दस लाख में घर खरीदना चाहते हैं तो जायदातर क्या होता है कि लोग एकही बार सारी पेमेंट देकर घर खरीद ले लेते हैं. लेकिन कुछ लोग कुछ पैसे देकर घर को बुक कर लेते हैं. हम मान लेते हैं हमने उसको ₹10000 दिया और हमने उस घर को बुक कर लिया।और हम उसे कहते हैं की बांकी के पैसे हम आपको 3 या 4 महीने बाद देंगें। अब हमारे पास दो ऑप्शन रहते हैं. अगर इन 3 4 महीनों में इस घर की कीमत दस लाख से बारह लाख हो जाती है. तो आप यहाँ दो लाख प्रॉफिट में रहते हैं. लेकिन अगर यह प्रॉपर्टी दस लाख की ना हो कर के आठ लाख की हो जाती है तो आप यहाँ दो लाख लॉस में चले जाते हैं.
अगर आप फ्यूचर मार्केट में काम कर रहे तो जी आपको ये दो लाख का नुकसान भुगतना पड़ेगा। लेकिन ऑप्शंस मार्केट में क्या है आपके पास ऑप्शन है. आप चाहें तो लॉस बुक करें आप चाहें तो लॉस बुक ना करें। आप उसको मना कर सकते मुझे ये घर नहीं खरीदनी या मुझे अपना स्टॉक लॉट नहीं खरीदना। तो अगर स्टॉक का लॉट आपको नहीं खरीदना तो सामने वाले बंदे को क्या फायदा होगा और आपको क्या नुकसान है. देखिए आप को जो नुकसान है सिर्फ है दस हजार का जो आपने उसको बुक करने के लिए दी थी अधिक से अधिक यह लॉस होगा इसके अलावा कोई और लॉस नहीं है अदर वाइज हम अगर प्रॉफिट देखें देखें तो प्रॉफिट आपको अनलिमिटेड हो सकता है.
ऑप्शन मार्केट जिसकी कोई लिमिट नहीं है अगर वह प्रॉपर्टी आप की चाहे एक करोड़ की हो जाए चाहे दो करोड़ की. ऑप्शंस मार्केट में आपके पास ऑप्शन रहता है. अब आप कहेंगे जैसे लॉस होने पर हमने हमने खरीदने से मना कर दिया। वैसे ही अगर सामने वाले ने प्रॉफिट होने पर बेचने से माना कर दे तो क्योंकि उसे लॉस हो रहा है. लेकिन options trading में ऐसा नहीं होता अगर उसने एक बार कॉन्ट्रैक्ट कर लिया बेचने के लिए की मैं इतने में दूंगा तो उसको बेचना ही पड़ेगा। लेकिन आपके पास ऑप्शन है अगर आपने खरीदने के लिए कॉन्ट्रैक्ट किया है तो आप उसको चाहे तो खरीदें और अगर आपको लॉस हो रहा है नहीं खरीदें। ऑप्शन मार्केट के अंदर दो तीन चीजें और भी है. जिसे समझने की जरूरत है.
कॉल और पुट क्या होता है ।

अब आप ने कॉल और पुट का नाम सुना होगा। अगर आपने नहीं सुना तो हम बता देते हैं कॉल का मतलब हम शेयर को खरीदते हैं जिसमें शेयर की ऊपर जाने की पॉसिबिलिटी रखते हैं और हम शेयर को बाय कर लेते हैं. इसी तरीके से हम कोई कॉन्ट्रैक्ट बेस पर लेते हैं कि आगे आने वाले कुछ महीनों में जो भी उसके एक्सपायरी डेट है उस के टाइम पीरियड के अंदर कोई कमोडिटीज स्टॉक, करेंसी या कोई बॉन्ड बढ़ सकता है उसकी बढ़ने के चांसेस जायदा है तो उसको हम कहेंगे कि हमने ऑप्शंस की कॉल खरीद ली है. उस पार्टी कूलर स्टॉक, कमोडिटी या करेंसी की. मान के चलिए हम एक स्टॉक का लॉट खरीदते हैं तो साथ में उसकी एक्सपायरी डेट भी होगी उस पर भी आपको ध्यान रखना पड़ेगा कि उसकी एक्सपायरी 1 महीने महीने बाद है 2 या 3 महीने बाद की है
यानि की कॉल को हम ये सोच कर खरीदते हैं की ये ऊपर की तरफ जायेगा , यानि इसपर हम बुलिश रहते हैं. पर्टिकुलर एक्सपायरी डेट के हिसाब से. पुट को आप सिमलप्लिफाय कर सकते शॉर्ट की तरफ. पुट जो की ज्यादा पेंचीदा होता है आप इसके अंदर शॉट कर सकते हैं लेकिन यह बड़ी कॉम्प्लिकेटेड चीज है. अगर आप छोटे इन्वेस्टर हैं तो इसपर अभी ध्यान मत दीजिये। पुट का मतलब तो यही है कि शॉट करते हैं लेकिन पुट बहुत ज्यादा रिस्की भी होता है. अभी इसके तरफ ज्यादा मत सोचिए। आप कॉल की तरफ ही ज्यादा सोचिए। अगर आपको लग रहा है की किसी पर्टिकुलर स्टॉक के अंदर 2, 3 महीने में अच्छी रैली देखने को मिल सकती है. तो आप उसका एक लॉट ऑप्शन में ले लेते हैं. तो ऑप्शन में आपको ये बहुत ही कम प्राइस में मिल जाता है बहुत ही कम प्राइस का मतलब 5000 से 10000 में आपको मिल जाता है.
पांच दस हजार में आप निफ़्टी का लॉट या sbi का लॉट ले सकते हैं जो बहुत ही कम कीमत में मिल जाता है. मानकर चलते हैं की अभी sbi के एक शेयर की कीमत लगभग 265 चल रहा है तो उसे आप एक या दो रूपये या जो भी प्रीमियम है. तो वह प्रीमियम अमाउंट लिखा होता है कि इस एक्सपायरी डेट के कॉल ऑप्शन का प्रीमियम अमाउंट इतना है तो मान लेते 2 रुपया प्रीमियम अमाउंट है और पूरा लॉट 5000 शेयर का है तो आप दस हजार देकर के SBI का पूरा एक लॉट बुक कर सकते हैं. मान लेते SBI के एक स्टॉक की कीमत 265 का है. तो आपने ₹2 का प्रीमियम देख कर 5000 का लॉट बुक कराएं तो आपने लगभग तेरह लाख का माल सिर्फ और सिर्फ दस हजार में बुक कर लिया। अब यहाँ आपका मैक्सिमम लॉस आपको सिर्फ दस हजार ही हो सकता है. इससे ज्यादा नहीं हो सकता है अब अगर SBI शेयर की कीमत 265 की जगह 200 हो गया तो आप कह सकते हैं कि जी मुझे ऑप्शंस नहीं खरीदना मुझे यह कॉन्ट्रैक्ट नहीं लेना और आपकी जो बुक मनी है. जो भी उस पर दिया हुआ है. आपको देना पड़ेगा। इसे आप उसे देकर बाहर आ सकते हैं. मान लेते हैं यह 265 की जगह 365 रुपए का हो गया है. और जो वैल्यू थी तेरह लाख की वो अब लगभग अठारह लाख की हो गई तो आप इसे बेच कर निकल सकते हैं और सिर्फ दस हजार देकर लगभग पांच लाख कमा सकते हैं.
ऑप्शन मार्केट के अंदर जो प्राइस है. प्राइस ऑफ इंपैक्ट करते हैं रियल मार्केट के प्राइस के बेस पर लेकिन उसके अंदर फ़्लेक्टुअशन हो सकता है ऊपर नीचे का काफी परसेंटेज पर भी हो सकता है तो आप जो टेक्निकल यूज़ करते हैं जो बाकी चीजें यूज़ करते हैं तो आपको उसी बेस पर यूज करना पड़ेगा वैसे फ्यूचर मार्केट,ऑप्शन मार्किट के भी आपको चार्ट मिलते हैं पार्टिकुलर स्टॉक्स के और बाकी चीजों के तो आप उस हिसाब से भी उसको चेक कर सकते हैं. ऑप्शन मार्केट का ओवरव्यू ये है की यहाँ आपको ऑप्शंस मिलता है कि आप अपना प्रॉफिट बुक कर सकते हैं आप अपनी बुक मनी को छोड़ सकते हैं तो पुट के अंदर बिल्कुल उल्टा होता है आप उस पार्टी कूलर स्टॉक को या कमोडिटी जो भी चीज है आप उसको वहां पर बेच देते हैं और उसको शार्ट करने के बाद आपको लगता है कि ये गिरेगा और अगर यह नहीं गिरता और यह बढ़ जाता है तो आप घाटे की तरफ चले जाते हैं. और यहाँ आपको बेचने के लिए आपको सारा पैसा देना पड़ता है और ये बहुत ही कॉम्प्लिकेटेड चीज है इसके अंदर आपको नुकसान बहुत ज्यादा हो सकता है और जो प्रॉफिट की संभावनाएं है वह लिमिटेड है तो हमेशा कॉल की तरफ जाए पुट की तरफ ना जाए. ऑप्शन मार्केट में ऐसा नहीं है की आप सभी स्टॉक्स में काम कर सकते हैं सभी स्टॉक्स काम नहीं कर सकते हैं कुछ पार्टीकूलर स्टॉक, कमोडिटी ,करेंसी ही है जिनके ऊपर आप काम कर सकते हैं. यहाँ आपको यह देखना होगा कि कौन सा स्टॉक, कमोडिटी ,करेंसी बढ़ने वाला है या कौन सा डाउन होने वाला किसकी पॉसिबिलिटी क्या है.

Option trading और इक्विटी ट्रेडिंग में कौन अच्छा होता है.

Option trading और इक्विटी ट्रेडिंग में कौन अच्छा होता है? इन दोनों में दोनों अच्छे ही होते हैं. पर ऑप्शन ट्रेडिंग में ये होता है की इसमें लॉस की लिमिट होती है. और प्रॉफिट अनलिमिटेड होती है. जबकि इक्विटी ट्रेडिंग में लॉस भी अनलिमिट होती है और प्रॉफिट भी. अतः मेरे हिसाब से ऑप्शन ट्रेडिंग ही सही होता है.
 
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